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स्कूल में ही सेक्स कर लेती हैं 75 फीसदी लड़कियां!

नई दिल्ली। मैं कुंवारी हूं, लेकिन मुझे सेक्स के बारे में सबकुछ पता है, मेरी क्लास की 75 फीसदी लड़कियां सेक्स कर चुकी हैं, अगर मेरे ब्वायफ्रेंड के दूसरी लड़कियों के साथ संबंध है तो इसमें गलत क्या है, मेरे भी तो दूसरों के साथ संबंध हैं। मैं फेसबुक पर हर वो बात कह सकती हूं, जो आमतौर पर किसी के सामने नहीं कह सकती, सही मायने में फेसबुक हमारे लिए ही बना है।
ये जुमले सुनकर आपका चौंकना लाजिमी है लेकिन ये जानकर आपको और झटका लगेगा कि ये जुमले स्कूल जाने वाले लड़के-लड़कियों के हैं। वो जिनकी उम्र 13 से 20-21 साल की है और वो खुद को फेसबुक पीढ़ी कहलाया जाना पसंद करती है। भूल जाइए अपने वक्त की बातें, भूल जाइए अपना दौर, नए जमाने के टीनएजर्स के लिए जिंदगी के मायने बदल चुके हैं। हो सकता है ये रिपोर्ट देखकर आपकी पुरानी मान्यताओं को झटका लगे। हो सकता है आप का दिल इसे सच न माने लेकिन हकीकत यही है।
अब तक ऐसी बातें आपने फिल्मों में देखी-सुनी होगी, लेकिन आज मेट्रो शहरों की फेसबुक पीढ़ी के बीच ऐसी ही बातें होती हैं। सेक्स को लेकर ये पीढ़ी किसी बंदिश को नहीं मानती, और सेक्स के बारे में इनके बीच खुली बातचीत होती है। ये हकीकत है मेट्रो शहरों के स्कूलों में जाने वाले उन लड़के-लड़कियों की जो मोबाइल फोन के बिना एक पल नहीं जी सकते। लैपटॉप उनकी जिंदगी का अहम हिस्सा बन चुका है। उनकी बातचीत में चैट, ब्राउज, एसएमएस, ट्विटर, फेसबुक, स्मोक, ड्रिंक्स और सेक्स जैसे शब्द आम हो गए हैं।
इस पीढ़ी के लड़के-लड़कियां एडल्ट फिल्में देखते हैं, सेक्स करते हैं और सेक्स संबंध बनाने के बाद लड़कियां गर्भ निरोधक गोलियों का बेधड़क इस्तेमाल करती हैं। एक वीकली मैग्जीन में छपे सर्वे के मुताबिक मेट्रो शहरों के स्कूलों में पढ़ने वाली हर 100 टीन एजर लड़कियों में से 25 लड़कियां सेक्स कर चुकी हैं। लेकिन जब इस सर्वे के बारे में स्कूल जाने वाली एक लड़की से बात की गई तो उसने बताया कि ये आंकड़ा गलत है। उसकी क्लास में पढ़ने वाली 75 फीसदी लड़कियां सेक्स कर चुकी हैं।
एक सर्वे के मुताबिक मेट्रो शहरों में पली-बढ़ी ये पीढ़ी एक दिन में 38 घंटे का काम निपटा रही है। इसमें चैटिंग, ब्राउजिंग, फोन पर बातचीत, एसएमएस, शराब पीना और सेक्स तक शामिल है। ये बात भी सामने आई है कि 12वीं में पढ़ने वाले कई छात्र तो हर वक्त पॉकेट में कॉन्डोम लेकर घूमते हैं। ये सोचकर कि न जाने कब इसकी जरुरत पड़ जाए।
मेट्रो शहरों के इन लड़के-लड़कियों के बीच मल्टीपल डेटिंग का कॉन्सेप्ट तेजी से फैल रहा है। यानी एक ही वक्त में एक से ज्यादा बॉयफ्रेंड और गर्लफ्रेंड। इतना करने के बाद भी किसी से कुछ छिपाने की जरुरत नहीं क्योंकि ये पीढ़ी एफडब्ल्यूबी में यकीन रखती है। FWB यानी Friends With BenefitS, सिर्फ सुविधा के लिए बनाया गया दोस्त। इस पीढ़ी का मूल मंत्र है नो कमिटमेंट, नो डिमांड, नो प्रॉब्लम। यानी जिस उमर के लड़के-लड़कियों को दुनियादारी के मामले में नादान समझा जाता है। उस उमर में वो रिश्तों की नई परिभाषा गढ़ रहे हैं।
इन टीनएजर्स को पढ़ाई में आगे रहने से ज्यादा इस बात की फिक्र होती है कि उनके फेसबुक प्रोफाइल में उनकी तस्वीर बुरी तो नहीं लग रही। लड़कियों को डर रहता है कि कोई दोस्त उनकी तस्वीरें देखकर फगली न लिख दे। फगली- फैट और अगली शब्दों को मिलाकर बना है (यानी मोटी और भद्दी)। इन स्कूली छात्रों में इस बात की होड़ लगी रहती है कि किसके फेसबुक अकाउंट में सबसे ज्यादा फ्रेंड हैं।

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