क्या आप ख़ुद को उपेक्षित महसूस कर रहे हैं? या फिर
व्याकुल महसूस कर रहे हैं? या फिर नाख़ुश हैं? दरअसल कामकाजी दिनों में
आजकल ज़्यादातर लोग ऐसा ही महसूस करते हैं। हम नॉर्मल होना भूल चुके हैं। इन
दिनों जिस रफ़्तार से कारोबार की दुनिया बढ़ रही है, इसके बाद भी आप जीवन
को नियंत्रित कर सकते हैं और खुद की परेशानी को कुछ कम कर सकते हैं। आप
अपने कामकाजी जीवन और निजी जिंदगी को कहीं ज़्यादा खुशनुमा बना सकते हैं।
लेकिन किस तरह से।
लिंक्डइन इंफ्लूयेंशर्स पर इस सप्ताह इसी मुद्दे पर बहस चल रही है। दो एक्सपर्ट्स की सलाह हम आपको बताते हैं।
हैडन ने हाल ही में ओवरवर्क्ड और ओवर वेल्हमड फीलिंग को रोकने की दस तरकीबें लिखी हैं।
उनकी राय के मुताबिक अपने कामकाजी और निजी जीवन में सुंतलन स्थापित करने में होने वाली मुश्किल का सामना हम सबको करना पड़ता है। हम अपनी मुश्किलों का हल कहीं बाहर ढूंढ़ते हैं, सॉफ्टवेयर, मोबाइल ऐप में और टाइम मैनेजमेंट सिस्टम इत्यादि में।
लिंक्डइन इंफ्लूयेंशर्स पर इस सप्ताह इसी मुद्दे पर बहस चल रही है। दो एक्सपर्ट्स की सलाह हम आपको बताते हैं।
हैडन ने हाल ही में ओवरवर्क्ड और ओवर वेल्हमड फीलिंग को रोकने की दस तरकीबें लिखी हैं।
उनकी राय के मुताबिक अपने कामकाजी और निजी जीवन में सुंतलन स्थापित करने में होने वाली मुश्किल का सामना हम सबको करना पड़ता है। हम अपनी मुश्किलों का हल कहीं बाहर ढूंढ़ते हैं, सॉफ्टवेयर, मोबाइल ऐप में और टाइम मैनेजमेंट सिस्टम इत्यादि में।
ये उपाय होंगे फायदेमंद
नीचे लिखे कुछ तरीकों से इससे बचा जा सकता है -
1. वर्तमान चुनौतियों को समझें और उससे पार पाएं- जो लोग जल्दबाज़ी में होते हैं, वे भविष्य को नहीं देख पाते हैं। पहले जानें कि कोई काम कितना जरुरी है।
अपने रोजमर्रा की आदतों को चुनौती दें। सोचें क्या आपको इस मुलाकात की जरूरत है?
क्या आपको वाकई वो रिपोर्ट तैयार करने की जरूरत है? क्या उस ईमेल का जवाब देना जरूरी है? ज्यादातर मामलों में इसकी कोई जरूरत नहीं होती। लेकिन आप ऐसा करते इसलिए हैं क्योंकि आप अब तक उसे करते आए हैं। ऐसे कामों को कम करें। जब आप यह करेंगे तो तो आपके पास दूसरी चीजों को प्रभावी तरीके से करने के लिए ज़्यादा वक्त होगा।
2. सबसे जरूरी काम को प्राथमिकता दें- आपकी इस महीने की प्राथमिकता क्या है? इस सप्ताह की प्राथमिकता क्या है? आज की प्राथमिकता क्या है? आप ऐसे अपनी चीजों को तय करें और उसके बाद उन्हें पूरा करें। आप कम महत्वपूर्ण काम को क्यों करना चाहेंगे जब ज्यादा महत्वपूर्ण काम आपके सामने है।
3. खुद की अवचेतन सोच को वक्त दें- जब आप मुश्किल चुनौतियों में फंसे हों तो सही फ़ैसले लेने के लिए अपने अवचेतन को वक्त देना जरूरी है। शोध बताते हैं कि जब लोग सोचते हैं, अपने आंकड़ो को चेक करते हैं तब अच्छे फ़ैसले लेते हैं। इसलिए थोड़ा समय टहलें। घर का कोई भी काम करें। एक्सरसाइज़ करें। मतलब कुछ ऐसा करें जब आपका शरीर तो सक्रिय हो लेकिन दिमाग ऑटो पायलट तरीके से काम करें। ऐसे में आप अपनी समस्याओं के खुद के हल से अचरज में पड़ जाएंगे।
4. सीमा तय करें- कोई भी सातों दिन, चौबीसों घंटे काम नहीं कर सकता। करना भी नहीं चाहिए। लेकिन आपको ऐसा महसूस होता होगा क्योंकि आप ऐसा महसूस करते हैं। कुछ सीमा निर्धारित करें। जिस समय आप काम करना बंद करें उस वक्त अपने परिवार के साथ वक्त बिताएं। कुछ समय तक आप फोन भी नहीं उठाएं। लोगों को आपकी सीमाओं के बारे में मालूम होना चाहिए। अगर आप अपने वक्त की कद्र ख़ुद नहीं करेंगे तो दूसरे भी नहीं करेंगे।
इवेटे के काबालेरो, मार्केटिंग कम्यूनिकेशंस कंसल्टेंट ने हाल ही में हैप्पीनेस इज़ नॉट एबाउट हैविंग आल यू वांट नामक पोस्ट लिखी है। उनके मुताबिक जीवन को कांपलैक्स नहीं बनाना चाहिए, सहज रखना चाहिए।
काबालेरो पूछती हैं कि ख़ुशी आख़िर क्या है? क्या आप इसे तब हासिल कर सकते हैं जब कामकाजी और घरेलू मोर्चे पर काफी व्यस्त हों। इसके साथ ही वे बताती हैं, "ख़ुशी एक तरह से लाइफ़स्टाइल है जिसका हमें दिन रात अभ्यास करना चाहिए।"
1. वर्तमान चुनौतियों को समझें और उससे पार पाएं- जो लोग जल्दबाज़ी में होते हैं, वे भविष्य को नहीं देख पाते हैं। पहले जानें कि कोई काम कितना जरुरी है।
अपने रोजमर्रा की आदतों को चुनौती दें। सोचें क्या आपको इस मुलाकात की जरूरत है?
क्या आपको वाकई वो रिपोर्ट तैयार करने की जरूरत है? क्या उस ईमेल का जवाब देना जरूरी है? ज्यादातर मामलों में इसकी कोई जरूरत नहीं होती। लेकिन आप ऐसा करते इसलिए हैं क्योंकि आप अब तक उसे करते आए हैं। ऐसे कामों को कम करें। जब आप यह करेंगे तो तो आपके पास दूसरी चीजों को प्रभावी तरीके से करने के लिए ज़्यादा वक्त होगा।
2. सबसे जरूरी काम को प्राथमिकता दें- आपकी इस महीने की प्राथमिकता क्या है? इस सप्ताह की प्राथमिकता क्या है? आज की प्राथमिकता क्या है? आप ऐसे अपनी चीजों को तय करें और उसके बाद उन्हें पूरा करें। आप कम महत्वपूर्ण काम को क्यों करना चाहेंगे जब ज्यादा महत्वपूर्ण काम आपके सामने है।
3. खुद की अवचेतन सोच को वक्त दें- जब आप मुश्किल चुनौतियों में फंसे हों तो सही फ़ैसले लेने के लिए अपने अवचेतन को वक्त देना जरूरी है। शोध बताते हैं कि जब लोग सोचते हैं, अपने आंकड़ो को चेक करते हैं तब अच्छे फ़ैसले लेते हैं। इसलिए थोड़ा समय टहलें। घर का कोई भी काम करें। एक्सरसाइज़ करें। मतलब कुछ ऐसा करें जब आपका शरीर तो सक्रिय हो लेकिन दिमाग ऑटो पायलट तरीके से काम करें। ऐसे में आप अपनी समस्याओं के खुद के हल से अचरज में पड़ जाएंगे।
4. सीमा तय करें- कोई भी सातों दिन, चौबीसों घंटे काम नहीं कर सकता। करना भी नहीं चाहिए। लेकिन आपको ऐसा महसूस होता होगा क्योंकि आप ऐसा महसूस करते हैं। कुछ सीमा निर्धारित करें। जिस समय आप काम करना बंद करें उस वक्त अपने परिवार के साथ वक्त बिताएं। कुछ समय तक आप फोन भी नहीं उठाएं। लोगों को आपकी सीमाओं के बारे में मालूम होना चाहिए। अगर आप अपने वक्त की कद्र ख़ुद नहीं करेंगे तो दूसरे भी नहीं करेंगे।
इवेटे के काबालेरो, मार्केटिंग कम्यूनिकेशंस कंसल्टेंट ने हाल ही में हैप्पीनेस इज़ नॉट एबाउट हैविंग आल यू वांट नामक पोस्ट लिखी है। उनके मुताबिक जीवन को कांपलैक्स नहीं बनाना चाहिए, सहज रखना चाहिए।
काबालेरो पूछती हैं कि ख़ुशी आख़िर क्या है? क्या आप इसे तब हासिल कर सकते हैं जब कामकाजी और घरेलू मोर्चे पर काफी व्यस्त हों। इसके साथ ही वे बताती हैं, "ख़ुशी एक तरह से लाइफ़स्टाइल है जिसका हमें दिन रात अभ्यास करना चाहिए।"
खुश रहने के अचूक उपाय
लेकिन इन तरीकों को अपना कर आप ख़ुश रह सकते हैं -
1. अपने शरीर का ख्याल रखें- अपने खाने-पीने को लेकर सजग रहें। अपने शरीर की जरूरतों सुनना सीखें। ऐसा खाना खाइए, जो आपको शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक रूप से बेहतर बनाए।
2. सार्थक संबंध विकसित करें- लोगों से तीन तरह के संबंध विकसित करें। एक तो अपने से अधिक उम्र के और बुद्धिमान व्यक्ति से, इसके बाद अपने हम उम्र लोगों से संबंध बनाए। इसके अलावा अपने से कम उम्र का एक मेंटॉर भी बनाएं ताकि आपको नए दौर के बारे में पता चलता रहे। इससे आपके इर्द-गिर्द काफी बेहतर सपोर्ट सिस्टम तैयार हो पाएगा।
3. कृतज्ञता का भाव रखें- कृतज्ञ भाव आपके जीवन में साकारात्मक प्रभाव डालता है और उन लोगों पर भी असर डालता है जिनके आसपास आप हैं। कृतज्ञता से आप आने वाली चुनौती का सामना कर सकते हैं। इससे आपके तनाव का स्तर भी घटता और स्वास्थ्य भी बेहतर होता है।
1. अपने शरीर का ख्याल रखें- अपने खाने-पीने को लेकर सजग रहें। अपने शरीर की जरूरतों सुनना सीखें। ऐसा खाना खाइए, जो आपको शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक रूप से बेहतर बनाए।
2. सार्थक संबंध विकसित करें- लोगों से तीन तरह के संबंध विकसित करें। एक तो अपने से अधिक उम्र के और बुद्धिमान व्यक्ति से, इसके बाद अपने हम उम्र लोगों से संबंध बनाए। इसके अलावा अपने से कम उम्र का एक मेंटॉर भी बनाएं ताकि आपको नए दौर के बारे में पता चलता रहे। इससे आपके इर्द-गिर्द काफी बेहतर सपोर्ट सिस्टम तैयार हो पाएगा।
3. कृतज्ञता का भाव रखें- कृतज्ञ भाव आपके जीवन में साकारात्मक प्रभाव डालता है और उन लोगों पर भी असर डालता है जिनके आसपास आप हैं। कृतज्ञता से आप आने वाली चुनौती का सामना कर सकते हैं। इससे आपके तनाव का स्तर भी घटता और स्वास्थ्य भी बेहतर होता है।
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